Saturday, December 6

मां बगलामुखी मंदिर की करोड़ों की जमीन पर से कब्जा खत्म 20 साल पुराने विवाद पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, रातों-रात JCB से हटाया अतिक्रमण

आगर मालवा/नलखेड़ा: विश्व प्रसिद्ध मां बगलामुखी मंदिर की करोड़ों रुपये मूल्य की जमीन आखिरकार 20 साल बाद मुक्त हो गई। एमपी हाई कोर्ट के फैसले के बाद प्रशासन ने शुक्रवार देर रात जेसीबी की मदद से अवैध निर्माण और कब्जे को ध्वस्त कर दिया। यह मामला वर्ष 2007 से न्यायालय में लंबित था, जिसमें कुछ लोगों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मंदिर भूमि पर दावा जताया था।

हाई कोर्ट ने दी बड़ी राहत—फर्जी दस्तावेजों पर हासिल डिक्री को बताया अवैध

हाई कोर्ट ने इस विवादित जमीन पर 1997 में ली गई डिक्री को धोखे और दस्तावेज छुपाकर हासिल किया गया माना। अदालत ने स्पष्ट किया कि दावा करने वालों का वसीयतनामा संदिग्ध है और यह कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं है।

कोर्ट ने पुराने सरकारी रिकॉर्ड और मंदिर व्यवस्था से जुड़े आधिकारिक अभिलेखों का हवाला देते हुए सरकार का हक स्थापित किया। इस फैसले के साथ ही वर्षों से चल रहा विवाद पूरी तरह खत्म हो गया।

सरकार का पक्ष रहा मजबूत—अतिरिक्त महाधिवक्ता आनंद सोनी की पेशी ने बदली तस्वीर

शासन की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता आनंद सोनी ने अदालत में ठोस दलीलें पेश कीं।
उन्होंने—

  • मंदिर के ऐतिहासिक दस्तावेज,
  • पुराने सरकारी रिकॉर्ड,
  • और फर्जी दस्तावेजों के प्रमाण
    अदालत के सामने रखे।

हाई कोर्ट ने माना कि भूमि पर धोखाधड़ी से कब्जा करने का प्रयास किया गया था।

रातों-रात चली कार्रवाई, JCB ने हटाया अवैध कब्जा

फैसला आते ही प्रशासन हरकत में आ गया।
शुक्रवार देर रात—

  • पुलिस,
  • राजस्व विभाग,
  • और स्थानीय प्रशासन
    की संयुक्त टीम नलखेड़ा स्थित मंदिर परिसर की जमीन पर पहुंची।

जेसीबी मशीनों की सहायता से अवैध निर्माण हटाए गए। कार्रवाई इतनी तेज और सख्त थी कि अतिक्रमण करने वालों में हड़कंप मच गया

अधिकारियों ने मौके पर मीडिया से किसी प्रकार की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

फैसले से मंदिर भूमि सुरक्षित, वर्षों का विवाद खत्म

हाई कोर्ट के आदेश के बाद मां बगलामुखी मंदिर की कीमती जमीन अब पूरी तरह सुरक्षित मानी जा रही है।
लगातार 20 साल तक चली कानूनी लड़ाई के बाद मंदिर प्रशासन और स्थानीय श्रद्धालुओं ने राहत की सांस ली है।

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