बस्तर में माओवादियों की सत्ता का क्षणिक अंत: अब सिर्फ 2 कमांडर और 150 हथियारबंद नक्सली बचे
बस्तर: वह जिला, जिसे कभी माओवादियों का अभेद्य गढ़ माना जाता था, अब माओवादी हिंसा के इतिहास के सबसे बड़े मोड़ से गुजर रहा है। केंद्र सरकार की समग्र उन्मूलन नीति और गृह मंत्री अमित शाह की कुशल रणनीति के चलते माओवादी संगठन का मुख्य नेतृत्व अब केवल दो व्यक्तियों तक सिमट गया है, और उनके साथ हथियारबंद सदस्य 130-150 के बीच ही सक्रिय हैं।
दो कमांडर ही बचे:बस्तर के आईजीपी सुंदरराज पी. के अनुसार, संगठन का मुख्य नेतृत्व अब केवल बारसे देवा और पश्चिम बस्तर डिविजन सचिव पापाराव तक सीमित रह गया है। टेकुलगुड़ेम में 3 अप्रैल 2021 को हिड़मा के हिंसक दल द्वारा किए गए भीषण हमले में 21 जवानों के बलिदान ने माओवादी ढांचे के पतन की शुरुआत की। इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बस्तर का दौरा कर माओवादी हिंसा के पूर्ण उन्मूलन का संकल्प लिया।
असंभव को किया संभव:पहले लक्ष्य तिथि 30 मार्च 2023 तय की गई थी, ...









