
पटना।
बिहार में नई मंत्रिपरिषद के गठन के साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बीजेपी नेतृत्व ने यह साफ कर दिया है कि इस बार सरकार बनाते समय राजनीतिक समीकरण और सोशल इंजीनियरिंग दोनों का बेहतरीन मिश्रण तैयार किया गया है। एनडीए का लक्ष्य था—सबको सम्मान, किसी को नाराज़ नहीं। और यह बात कैबिनेट की संरचना में साफ झलकती भी है।
महिलाओं को मिला अहम स्थान, तीन चेहरे पहुंचे कैबिनेट में
बिहार की आधी आबादी ने एक बार फिर मतदान में अपनी शक्ति दिखाई और उसी बल को सम्मान देने के लिए तीन महिलाओं—
- लेशी सिंह (जदयू)
- रमा निषाद (भाजपा)
- श्रेयसी सिंह (भाजपा)
को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया।
एक चौथी महिला मंत्री भी हो सकती थीं, यदि स्नेहलता ने अंतिम समय में अपने बेटे के पक्ष में फैसला न बदला होता।
यह कदम एक स्पष्ट संदेश देता है—नीतीश सरकार में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी सिर्फ सांकेतिक नहीं, बल्कि प्रभावशाली है।
राजपूत समाज से सबसे ज्यादा प्रतिनिधित्व
एनडीए के 33 विधायक राजपूत समुदाय से आते हैं। इसी के अनुरूप चार मंत्री इस समाज से लिए गए—
- संजय टाइगर
- श्रेयसी सिंह
- लेशी सिंह
- संजय सिंह (लोजपा)
यह संतुलन दिखाता है कि एनडीए ने जातीय आधार पर प्रतिनिधित्व देने में पूरी गणना की है।
दलित समाज को भी बराबर हिस्सेदारी
दलित समुदाय से 34 विधायक जीतकर आए, और इस अनुपात से दलितों को चार मंत्री बनाए जाने का फैसला लिया गया। ये हैं—
- अशोक चौधरी (जदयू)
- लखींद्र पासवान (भाजपा)
- संतोष सुमन (HAM)
- संजय कुमार (लोजपा-आर)
दलित आबादी राज्य में 18.6% है, ऐसे में यह संख्या सामाजिक संतुलन का मजबूत संकेत है।
भाजपा में नई पीढ़ी की एंट्री—अनुभव + युवाशक्ति का मिश्रण
भाजपा इस बार ‘ट्रांजिशन फेज’ की राजनीति पर काम कर रही है।
एक तरफ अनुभवी चेहरे मौजूद हैं, तो दूसरी तरफ भाजपा ने नई पीढ़ी के नेताओं को सत्ता का अनुभव देने की शुरुआत की है।
पहली बार मंत्री बने युवा चेहरे—
- श्रेयसी सिंह
- संजय टाइगर
- प्रमोद चंद्रवंशी
- रमा निषाद
- लखींद्र पासवान
पार्टी का उद्देश्य साफ है—युवा नेतृत्व को आगे बढ़ाकर भविष्य की टीम तैयार करना।
VIP को भेजा गया बड़ा संदेश
मंत्रिमंडल में रमा निषाद और मदन सहनी को शामिल कर एनडीए ने वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी को राजनीतिक संदेश दे दिया है कि
“निषाद समाज को सम्मान देने के लिए अब हमें VIP की जरूरत नहीं।”
इस रणनीति के जरिए NDA ने एक तीर से दो निशाने लगाए—
- निषाद समाज को प्रतिनिधित्व
- विपक्षी राजनीति के एक अहम हथियार को कमजोर करने की तैयारी
समग्र तस्वीर—NDA की परफेक्ट सोशल इंजीनियरिंग
नई कैबिनेट इस बात की गवाही है कि एनडीए ने—
- महिलाओं
- सवर्णों (राजपूत, भूमिहार, कायस्थ, ब्राह्मण)
- दलित
- पिछड़े वर्ग
- युवा नेताओं
सभी को संतुलित हिस्सेदारी देने की कोशिश की है।
यह मंत्रिमंडल बताता है कि एनडीए बिहार में सिर्फ सत्ता नहीं, बल्कि सही सामाजिक प्रतिनिधित्व का मॉडल पेश करना चाहता है।