
भोपाल। मध्य प्रदेश में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का कार्य जारी है और इसकी पूरी जिम्मेदारी बूथ स्तर अधिकारी (BLO) के कंधों पर है। मतदाताओं का सत्यापन, फॉर्म भरवाना, डेटा का मिलान और ऐप पर जानकारी अपलोड करने की प्रक्रिया को तय समय सीमा में पूरा करना है। नतीजतन, प्रदेशभर में BLO भारी दबाव और कई चुनौतियों से जूझ रहे हैं। शहरों में मतदाताओं के ‘अदृश्य’ पते ढूंढना मुश्किल हो रहा है तो ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क की समस्या काम को धीमा कर रही है।
काम का बढ़ा बोझ, तनाव भी बढ़ा
शहडोल में कुछ दिन पहले एक BLO की मौत के बाद काम के दबाव को लेकर चर्चाएं तेज हैं। कई जिलों से BLO के बीमार पड़ने की खबरें भी सामने आई हैं, हालांकि प्रशासन काम के दबाव को मौत का कारण मानने से इंकार कर रहा है।
डिजिटल स्किल में अंतर, बढ़ा रहा परेशानी
एक BLO ने बताया कि जो अधिकारी डिजिटल उपकरणों में दक्ष हैं, उन्हें अपेक्षाकृत कम परेशानी हो रही है।
उन्होंने कहा— “जहाँ दिक्कत आती है, मैं तुरंत मोबाइल से आयोग की वेबसाइट खोलकर जानकारी चेक कर लेता हूँ। लेकिन जिन BLO को डिजिटल डिवाइस का अनुभव नहीं है, उनके सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो जाती है।”
ट्रेनिंग अधूरी, ऐप में दिक्कतें
एक महिला BLO ने बताया कि उन्हें अचानक ड्यूटी दी गई, लेकिन पर्याप्त प्रशिक्षण नहीं मिला। नेटवर्क स्लो होने के कारण फोटो अपलोड करने में दिक्कत आती है।
उन्होंने कहा— “कई बार ऐप तेजी से अपडेट होता है और जानकारी गायब हो जाती है। नई प्रक्रिया होने के कारण हड़बड़ी बनी रहती है।”
डुप्लीकेट नाम सबसे बड़ी चुनौती
एक अन्य BLO ने बताया कि कई मतदाताओं के नाम दो जिलों या एक ही शहर के अलग-अलग वार्डों में दर्ज हैं। पहले किसी BLO ने उनके नाम को मैप कर दिया होता है, लेकिन वर्तमान BLO को सिस्टम उन्हें स्वीकार ही नहीं करता।
इस वजह से दूसरे वार्ड या जिले की खोज में अत्यधिक समय लग रहा है।
तकनीकी और मानव संसाधन दोनों की कमी
एक पटवारी ने बताया कि कई शिक्षक BLO के रूप में लगाए गए हैं, लेकिन डिजिटल कार्यों में वे उतने दक्ष नहीं हैं।
उन्होंने कहा— “मैं भी BLO के साथ घूम रहा हूँ क्योंकि कई लोगों को ऐप और तकनीकी प्रक्रिया समझने में दिक्कत हो रही है।”
मीटिंगों में ही निकल जाता है आधा दिन
एक ग्राम रोजगार सहायक, जो इस समय BLO की जिम्मेदारी निभा रहे हैं, ने बताया कि लगातार मीटिंगों में समय खर्च हो रहा है।
उन्होंने कहा— “समय कम है, काम ज्यादा। फोन लगातार आते रहते हैं। तनाव महसूस होता है।”
शहरों में लोग घर पर नहीं मिलते, पते बदल रहे हैं
शहरी क्षेत्रों में BLO की सबसे बड़ी चुनौती है मतदाताओं का मिलना।
- किराए के मकानों में रहने वाले लोग अक्सर मकान बदल लेते हैं
- दूसरे राज्य या जिले से आए लोगों के रिकॉर्ड खोजने में काफी समय लगता है
- शहडोल में 966 BLO लगे हैं, लेकिन शहरी इलाकों में काम की रफ्तार धीमी है
ग्रामीण इलाकों में अलग मुश्किलें
गाँवों में BLO को खेतों में काम कर रहे मजदूरों का इंतजार करना पड़ता है।
- धान कटाई के चलते मजदूर सुबह जल्दी या देर शाम ही मिलते हैं
- कई गांवों में इंटरनेट बेहद कमजोर है
- 2003 की पुरानी मतदाता सूची में त्रुटियां ढूंढना भी समय ले रहा है
निष्कर्ष
समय सीमा, तकनीकी परेशानी, अपर्याप्त प्रशिक्षण, ‘अदृश्य’ पते और डुप्लीकेट प्रविष्टियों के बीच BLO प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक कार्य को पूरा करने में लगातार संघर्ष कर रहे हैं। हालांकि प्रशासन का दावा है कि पर्याप्त समय दिया गया है, लेकिन जमीनी हालात बताते हैं कि SIR प्रक्रिया ने BLO की वास्तविक चुनौतियों को उजागर कर दिया है।