
शिवपुरी में पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन एक अद्भुत और हृदयस्पर्शी दृश्य देखने को मिला। कथा स्थल की ओर जाते समय शास्त्री को रास्ते में एक बुजुर्ग महिला मिलीं। उनकी थकी-सी चाल और आंखों में कथा सुनने की गहरी श्रद्धा देखकर शास्त्री ने तुरंत अपनी गाड़ी रोकी और बड़े स्नेह से महिला को सहारा देकर गाड़ी में बैठाया।
कथा स्थल पहुँचने पर भी उन्होंने महिला का हाथ नहीं छोड़ा और आयोजक परिवार के साथ स्वयं उन्हें मंच तक ले गए। वहां महिला को आरती कराई गई और सम्मान स्वरूप गमछा पहनाया गया। यह दृश्य देख पूरा पंडाल भावुक हो उठा और उपस्थित भक्तगण शास्त्री की इस दरियादिली को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए।
कथा के दौरान शास्त्री ने देश के सांस्कृतिक पुनरुद्धार पर भी जोर दिया। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि शिक्षा प्रणाली में संस्कृति और धर्मग्रंथों का अध्ययन अनिवार्य किया जाए। उनका कहना था कि कक्षा 1 से ही रामचरितमानस और कक्षा 10 के बाद श्रीमद्भगवद्गीता का अध्ययन अनिवार्य किया जाना चाहिए। इसके साथ ही शास्त्री ने विदेशी आक्रांताओं के नाम पर रखे गए सड़कों और नगरों के नाम बदलने की भी मांग की और देश के शहीदों और मातृभूमि के आदर्शों को युवा पीढ़ी तक पहुँचाने पर जोर दिया।
शिवपुरी में कथा का इतिहास बनता जा रहा है। तीसरे दिन शास्त्री ने व्यासपीठ से भक्तों से प्रार्थना की कि भगवान उनकी सभी मनोकामनाएँ पूरी करें। इस दौरान उन्होंने परीक्षित और कलयुग के संदर्भ में गहन ज्ञानवाणी साझा की।
कथा का चौथा दिन गुरुवार को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव और दिव्य दरबार के आयोजन के साथ मनाया जाएगा, जिसमें भक्तों के लिए और भी आध्यात्मिक अनुभव होने की संभावना है।