
43 रनर-अप उम्मीदवारों ने बदला पाला, BJP सबसे बड़े लाभार्थी
मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में करारी हार के एक साल बाद विपक्षी महा विकास अघाड़ी (MVA) गंभीर राजनीतिक संकट से जूझ रही है। चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे इसके 43 उम्मीदवार सत्ताधारी महायुति गठबंधन में शामिल हो चुके हैं। इनमें से सर्वाधिक 26 नेता भारतीय जनता पार्टी (BJP) में पहुंचे हैं, जबकि 13 अजित पवार की एनसीपी और 7 एकनाथ शिंदे की शिवसेना में शामिल हुए हैं। इसके अलावा तीन निर्दलीय और पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी (PWP) का एक उम्मीदवार भी सत्ता पक्ष में जा चुका है।
महायुति की भारी जीत के बाद बढ़ा दायरा
2024 के विधानसभा चुनाव में महायुति ने 288 में से 235 सीटों पर कब्जा जमाया था। बीजेपी को 132, शिंदे की शिवसेना को 57 और एनसीपी (अजित पवार) को 41 सीटें मिली थीं। वहीं MVA केवल 50 सीटों पर सिमट गया था। इनमें शिवसेना (UBT) को 20, कांग्रेस को 16 और शरद पवार की एनसीपी को 10 सीटें मिलीं।
उद्धव सेना को सबसे बड़ा झटका
दल-बदल से सबसे अधिक नुकसान उद्धव ठाकरे नेतृत्व वाली शिवसेना (UBT) को हुआ है। उसके 19 उम्मीदवार महायुति में शामिल हो गए हैं। एनसीपी (SP) को 13 और कांग्रेस को 10 उम्मीदवारों का नुकसान झेलना पड़ा है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि सत्ता पक्ष विपक्ष की संभावित पुनर्गठित शक्ति को कमजोर करने और अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए इस प्रक्रिया को तेज कर रहा है।
क्षेत्रीय रणनीति में BJP सबसे आक्रामक
क्षेत्रवार विश्लेषण बताता है कि बीजेपी ने मराठवाड़ा, उत्तर महाराष्ट्र और कोंकण क्षेत्रों पर विशेष फोकस किया है।
- मराठवाड़ा से 16 नेताओं ने पाला बदला, जिनमें आधे BJP में गए
- उत्तर महाराष्ट्र के 11 में से 10 नेता BJP में शामिल
- कोंकण में 5 BJP, 3 शिंदे सेना और 2 एनसीपी में गए
विपक्ष आरोप लगा रहा है कि BJP केंद्रीय एजेंसियों के दबाव का इस्तेमाल कर रही है। शिवसेना (UBT) के प्रवक्ता हर्षल प्रधान ने कहा, “बीजेपी में अब खुद का जनाधार नहीं बचा है, इसलिए बाहर से नेताओं को लाया जा रहा है।”
अजित पवार और शिंदे ने भी बढ़ाई पकड़
अजित पवार ने मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र में अपना संगठन मजबूत किया है। उनकी पार्टी में शामिल 13 नेताओं में 6 एनसीपी (SP), 3 कांग्रेस और 2 शिवसेना (UBT) से हैं।
शिंदे सेना में आए 5 रनर-अप में 3 कोंकण और 2 मराठवाड़ा क्षेत्र से हैं।
राज्य की राजनीति में इस तेज़ दल-बदल ने 2029 के विधानसभा चुनावों की तैयारियों के संकेत और सत्ता पक्ष के अंदरूनी समीकरणों में भी हलचल बढ़ा दी है।