Saturday, December 6

40 कॉल के बावजूद एम्बुलेंस नहीं पहुंची, घायल मजदूर ने जिला अस्पताल में तड़प-तड़प कर तोड़ा दम

महोबा (उपेंद्र द्विवेदी): उत्तर प्रदेश के महोबा में एक गरीब मजदूर धीरज अहिरवार (33) की जिंदगी लापरवाह स्वास्थ्य सेवाओं की चपेट में चली गई। निजी एम्बुलेंस का खर्च वहन न कर पाने वाले धीरज को सरकारी एम्बुलेंस नहीं मिली, और परिजनों के 40 से अधिक कॉल करने के बावजूद मदद नहीं हुई। अंततः घायल मजदूर जिला अस्पताल में ही तड़प-तड़प कर दम तोड़ गया।

हादसे का पूरा विवरण

श्रीनगर थाना क्षेत्र के अतरार माफ गांव निवासी धीरज अहिरवार अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए महोबा आ रहे थे। सोमवार देर रात कानपुर-सागर राष्ट्रीय राजमार्ग पर उर्मिल बांध की मुख्य नहर के पास तेज रफ्तार कार ने उनकी बाइक को टक्कर मार दी। हेलमेट न पहनने के कारण धीरज गंभीर रूप से घायल हो गए।

राहगीरों की सूचना पर परिजन उन्हें जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टरों ने उन्हें मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया। परंतु सरकारी एम्बुलेंस न मिलने के कारण धीरज ने मंगलवार को जिला अस्पताल में ही तड़पते हुए दम तोड़ दिया।

परिजनों का आरोप

मृतक के भाई विनोद अहिरवार ने बताया कि उन्होंने 40 से अधिक बार कॉल कर मदद मांगी, लेकिन एम्बुलेंस नहीं भेजी गई। कई बार उन्हें बताया गया कि एम्बुलेंस फुल है। निजी एम्बुलेंस का खर्च वहन नहीं कर पाने के कारण मदद नहीं मिल सकी।

स्वास्थ्य सेवाओं पर उठे सवाल

एम्बुलेंस प्रोग्राम मैनेजर दिनेश यादव ने बताया कि घायल मजदूर को श्रीनगर से जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मेडिकल कॉलेज रेफर के समय एम्बुलेंस अन्य मरीजों के लिए व्यस्त थी। मृतक की मौत से सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही उजागर हो गई है और लोगों ने सवाल उठाए हैं।

मृतक के भांजे भोला ने बताया कि धीरज के माता-पिता की 9 साल पहले मृत्यु हो चुकी है। उनकी पत्नी सुनीता और तीन बच्चों का सिर अब पिता के बिना है।

जिला अस्पताल के CMO डॉ. आशाराम ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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