
नई दिल्ली। जमीन के बदले नौकरी घोटाले और आईआरसीटीसी मामले में आरोपों का सामना कर रहीं बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने एक बार फिर कानूनी मोर्चे पर बड़ा कदम उठाया है। राबड़ी देवी ने विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने के समक्ष लंबित चार मामलों को किसी अन्य अदालत में स्थानांतरित करने की मांग की है। उनकी इस याचिका ने नए विवाद को जन्म दे दिया है, क्योंकि सीबीआई इसे चुनौती देने की तैयारी में है।
क्या चाहती हैं राबड़ी देवी?
राबड़ी देवी ने प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के समक्ष दायर याचिका में आरोप लगाया है कि विशेष न्यायाधीश गोगने उनके परिवार के मामलों में “पक्षपातपूर्ण” रवैया अपना रहे हैं। उन्होंने मांग की है कि आईआरसीटीसी घोटाले, नौकरी के बदले जमीन मामले और उससे जुड़े ईडी व सीबीआई की कार्रवाई को किसी अन्य सक्षम अदालत को स्थानांतरित किया जाए।
उनका आरोप है कि न्यायाधीश का व्यवहार अभियोजन पक्ष के पक्ष में झुका हुआ है, जिससे उन्हें निष्पक्ष न्याय मिलने पर संदेह पैदा होता है।
आरोप तय होने के बाद बढ़ी हलचल
पिछले महीने ही अदालत ने लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और अन्य पर आईआरसीटीसी मामले में आरोप तय किए थे। इसके बाद से ही राजनीतिक और कानूनी हलचल तेज हो गई है।
राबड़ी की याचिका में कहा गया है कि कार्रवाई के दौरान कई बार न्यायाधीश का रवैया पक्षपातपूर्ण दिखाई दिया, जिसके कारण उनके मन में निष्पक्ष सुनवाई को लेकर आशंका बनी है।
सीबीआई क्यों कर सकती है विरोध?
मामले से जुड़े सूत्रों के अनुसार, सीबीआई राबड़ी की याचिका का जोरदार विरोध करने की तैयारी कर रही है। एजेंसी का तर्क होगा कि—
- राबड़ी देवी “फोरम शॉपिंग” कर रही हैं, यानी अपने अनुकूल अदालत तलाशने की कोशिश
- न्यायाधीश गोगने पक्षपाती नहीं, बल्कि राबड़ी के लिए सिर्फ “असुविधाजनक” हैं
- अदालत ने कई मौकों पर लालू और सह-आरोपियों को अपना पक्ष रखने के लिए अतिरिक्त समय दिया है
सीबीआई यह भी दलील दे सकती है कि न्यायाधीश का रिकॉर्ड निष्पक्ष और पारदर्शी रहा है, इसलिए स्थानांतरण की मांग निराधार है।
आगे क्या?
अब अदालत को यह तय करना होगा कि राबड़ी देवी की आशंका न्यायसंगत है या यह सिर्फ कानूनी रणनीति का हिस्सा। यदि याचिका खारिज होती है, तो मामले की सुनवाई मौजूदा अदालत में ही जारी रहेगी। वहीं, याचिका स्वीकार होने पर पूरे मामले की कानूनी दिशा बदल सकती है।
राजनीतिक रूप से भी इसका बड़ा असर पड़ सकता है, क्योंकि लालू परिवार पहले से ही कई मामलों में घिरा हुआ है।