Saturday, December 6

धर्मेंद्र देओल को नापसंद था डायलर फोन, बंद होते ही मिली राहत

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र देओल का निधन हो गया है। 89 साल की उम्र में धर्मेंद्र ने इस दुनिया को अलविदा कहा। उनके जीवन और करियर से जुड़ी कई यादें और किस्से सामने आए हैं, जिनमें से एक तकनीकी किस्सा भी है।

डायलर फोन से परेशानी थी धर्मेंद्र को

धर्मेंद्र ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें पुराने जमाने का रोटरी डायल फोन बिल्कुल पसंद नहीं था। कॉल लगाते समय उनकी उंगलियां फंस जाती थीं, इसलिए वे अक्सर अपने बेटे बॉबी देओल की मदद लिया करते थे।

  • कैसे होते थे डायलर फोन:
    रोटरी डायल टेलीफोन में 0 से 9 तक गोल छेद होते थे। नंबर डायल करने के लिए उंगलियों को इन छेदों में डालकर घुमाना पड़ता था। अगर उंगलियां मोटी हों या नाखून लंबे हों, तो फंसने की समस्या आम थी।
  • पहला रोटरी डायल फोन:
    1891 में अमेरिकी आविष्कारक अल्मोन ब्राउन स्ट्रॉगर ने इसे बनाया था। उन्होंने इसे इसलिए विकसित किया क्योंकि मैनुअल ऑपरेटर कॉल्स गलत जगह ट्रांसफर कर देते थे।

भारत में डायलर फोन की कहानी

1960-80 के दशक में रोटरी फोन की सरकारी कीमत ₹150 से ₹600 थी। सिक्योरिटी डिपॉजिट और इंस्टॉलेशन चार्ज के कारण असल खर्चा हजारों में पहुँच जाता था। लंबी वेटिंग लिस्ट के चलते काला बाजारी में भी फोन उपलब्ध होते थे।

डायलर फोन का अंत और राहत

1995-2000 के बीच पुश-बटन (टच-टोन) फोन आना शुरू हुए। 2005-2010 तक लगभग सारे घरों में कॉर्डलेस और मोबाइल फोन ने रोटरी फोन को पूरी तरह खत्म कर दिया। धर्मेंद्र ने भी इसके बंद होने पर राहत महसूस की और कीपैड व टच टोन वाले फोन्स से आसानी पाई।

निष्कर्ष:
धर्मेंद्र देओल का यह किस्सा न केवल तकनीकी बदलाव की कहानी बताता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे पुराने जमाने की छोटी-छोटी असुविधाएँ बड़े स्टार्स के लिए भी चुनौती बन सकती थीं।

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