
बाराबंकी, 22 नवंबर 2025। हाइटेंशन लाइन की चपेट में आए एक व्यक्ति की 10 साल पुरानी मौत के मामले में मुआवजा न देने पर अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए विद्युत वितरण खंड द्वितीय, रामनगर के अधिशासी अभियंता कार्यालय को सील कर दिया। अदालत ने पहले विभाग को करीब छह लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया था, लेकिन लगातार अवहेलना के बाद कार्रवाई की गई।
2016 में हादसे में गई थी कैलाश यादव की जान
अधिवक्ता गोविंद वाजपेई के मुताबिक, मसौली थाना क्षेत्र के बड़ागांव निवासी कैलाश यादव की 20 मई 2016 को घर के पास हाइटेंशन लाइन का तार टूटकर गिरने से गंभीर झुलसने के बाद मौत हो गई थी।
मृतक की पत्नी शिव देवी ने विभाग की लापरवाही पर मुकदमा दर्ज कराया, जिसकी पैरवी उनके बेटे अशोक यादव द्वारा की जा रही थी।
कोर्ट का आदेश—ब्याज सहित 9.41 लाख रुपये दें
पैरवी कर रहे वकील राजकुमार यादव ने बताया कि अदालत ने साक्ष्यों और गवाहों की सुनवाई के बाद पहले 6 लाख 63 हजार रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया था।
लेकिन 10 साल तक अनुपालन न होने पर सीनियर डिवीजन कोर्ट नंबर 20 ने दोबारा सुनवाई करते हुए विभाग को ब्याज सहित 9 लाख 41 हजार रुपये देने का निर्देश दिया और आदेश की अवमानना पर कार्यालय सील करने के आदेश पारित किए।
प्रशासन की मौजूदगी में कुर्की की कार्रवाई
अदालत के निर्देश पर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट गुंजिता अग्रवाल, थाना प्रभारी अनिल कुमार पांडे और पुलिस बल ने शुक्रवार को बिजली विभाग कार्यालय पर ताला लगाकर कुर्की आदेश चस्पा कर दिया।
मृतक के पुत्र अशोक कुमार ने कहा—
“पिता की मौत को 10 साल बीत चुके हैं। न्याय के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। अब जाकर अदालत के आदेश पर कार्रवाई हुई है।”
लापरवाही पर सख्त रुख, अगली कार्रवाई पर निगाहें
इस कदम के बाद जिले में चर्चा तेज है, जबकि विभागीय अधिकारियों की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
अदालत के आदेश के बाद पीड़ित परिवार को मुआवजा मिलने की उम्मीद बढ़ गई है और मामले की अगली सुनवाई पर सभी की नजरें टिकी हैं।