Saturday, December 6

बिहार चुनाव में महागठबंधन का ‘सबसे छोटा खिलाड़ी’ बना बड़ा विजेता, IP गुप्ता की जीत ने बदले समीकरण

बिहार विधानसभा चुनाव के ताज़ा नतीजों में जहां महागठबंधन को बड़े पैमाने पर निराशा झेलनी पड़ी, वहीं गठबंधन के सबसे छोटे सदस्य ने राजनीति के मैदान में अप्रत्याशित रूप से ‘सबसे बड़ा सितारा’ बनकर उभरने का काम किया है। इंडियन इंक्लूसिव पार्टी के उम्मीदवार आई.पी. गुप्ता ने सहरसा सीट पर धमाकेदार जीत दर्ज कर पूरे राज्य में हलचल मचा दी है।

सहरसा से 2,000 से अधिक वोटों से जीत, पहली ही कोशिश में बड़ा धमाका

55 वर्षीय इंजीनियर-से-नेता बने आई.पी. गुप्ता ने सहरसा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी को 2,000 से अधिक मतों से हराकर चुनावी राजनीति में जबरदस्त एंट्री की। महागठबंधन के हिस्से के रूप में उनकी पार्टी ने सिर्फ तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था, और उनमें से यह एक जीत गठबंधन के लिए बड़ी राहत बनकर सामने आई।

जब बड़े चेहरे फेल हो गए, छोटे दल ने दिखाया दम

इस चुनाव में कई बड़े नाम मैदान में थे—

  • प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी: 235+ सीटों पर चुनाव, लेकिन एक भी सीट नहीं
  • मुकेश सहनी की वीआईपी: 12 सीटों पर लड़ाई, परिणाम—शून्य

ऐसे में आई.पी. गुप्ता का पहली बार में ही विधानसभा तक पहुंच जाना न सिर्फ चौंकाने वाला, बल्कि राजनीतिक समीकरणों को झकझोरने वाला साबित हुआ है।

तांती–तत्त्व समुदाय की लड़ाई ने बनाया जननायक

गुप्ता ने 2023 में कांग्रेस से नाता तोड़कर तांती–तत्त्व एवं पान समुदायों के अधिकारों की लड़ाई को अपना लक्ष्य बना लिया था।

  • ये समुदाय अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) में आते हैं।
  • आबादी: लगभग 1–2%
  • गुप्ता ने इनके लिए अलग आरक्षण की मांग को ताकत से उठाया।

उन्होंने एनडीए सरकार पर आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को पलटने में सरकार की भूमिका रही, जिससे तांती–तत्त्व समुदाय को एससी श्रेणी से वापस ईबीसी में भेज दिया गया।

गांधी मैदान में मेगा रैली से बदली दिशा, बने सभी दलों की ‘पहली पसंद’

अप्रैल 2025 में पटना के गांधी मैदान में आयोजित गुप्ता की विशाल रैली ने उन्हें राजनीतिक केंद्र में ला खड़ा किया। बताया जाता है कि उसके बाद—

  • एनडीए,
  • AIMIM,
  • और महागठबंधन

तीनों ने उन्हें अपने साथ जोड़ने का प्रयास किया। अंततः उन्होंने विपक्षी गठबंधन का दामन थाम लिया।

गुप्ता ने राहुल गांधी और तेजस्वी यादव से मुलाकात के बाद आरोप लगाया कि बातचीत के दौरान एनडीए ने उनकी राजनीति को कमजोर करने की कोशिश की थी।

इंजीनियरिंग से राजनीति तक—नई कीमत, नया कद

आई.पी. गुप्ता ने इंजीनियरिंग पढ़ने के बाद बिजनेस किया, और फिर राजनीति में कदम रखा। जातीय समीकरणों की गहरी समझ और हाशिये पर पड़े समुदायों को संगठित करने की उनकी क्षमता ने उन्हें अल्प समय में एक पहचान दिलाई।

बिहार की राजनीति जहां हमेशा जातिगत समीकरणों के इर्द-गिर्द घूमती रही है, वहीं गुप्ता की यह जीत उन्हें आने वाले वर्षों में नई राजनीतिक शक्ति के रूप में स्थापित कर सकती है।

नतीजे साफ कहते हैं—छोटा दल भी लिख सकता है बड़ा इतिहास

इस चुनाव ने साबित कर दिया कि बिहार की राजनीति में केवल बड़े चेहरे ही निर्णायक नहीं होते। कभी-कभी सबसे छोटा खिलाड़ी भी मैदान में उतरकर पूरे खेल की दिशा बदल देता है—
और इस बार, उस खिलाड़ी का नाम है—आई.पी. गुप्ता।

उनकी जीत सिर्फ एक सीट की जीत नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति में उभरती नई कहानी की शुरुआत है।

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