
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) की नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत में लोगों के खर्च करने का तरीका बदल गया है। अब परिवार केवल रोजमर्रा की जरूरतों पर पैसा खर्च नहीं कर रहे, बल्कि ऐसे सामान और उपकरणों पर ध्यान दे रहे हैं जो उनकी संपत्ति बढ़ाते हैं।
कपड़े और जूतों की मांग घट रही:
रिपोर्ट के अनुसार, अब पुराने समय की बुनियादी जरूरतें जैसे कपड़े और जूते उतनी अहमियत नहीं रखतीं। इसके बजाय पर्सनल गुड्स (ब्यूटी प्रोडक्ट्स, एक्सेसरीज) और कुकिंग व हाउसहोल्ड अप्लायंसेज (मिक्सर, टोस्टर आदि) पर खर्च बढ़ा है। यह बदलाव अब देश के सबसे गरीब 40% परिवारों में भी देखा जा रहा है।
सबसे तेजी से बढ़ी मांग – गाड़ियां:
2011-12 और 2023-24 के घरेलू उपभोग खर्च के आंकड़ों के अनुसार, सबसे तेजी से बढ़ने वाली टिकाऊ संपत्ति गाड़ियां हैं। खास बात यह है कि गाड़ियों की बिक्री शहरी और ग्रामीण इलाकों के बीच की खाई को भी पाट रही है। बेहतर सड़कें, मजबूत बाजार जुड़ाव और आसान लोन सुविधा इस वृद्धि के प्रमुख कारण हैं।
टीवी की मांग धीमी:
वहीं टीवी के मालिकाना हक में वृद्धि बहुत धीमी रही। कई शहरों में टीवी रखने वाले लोगों की संख्या घट गई, क्योंकि मोबाइल फोन ने मनोरंजन और जानकारी के तरीके बदल दिए हैं। अब लोग मोबाइल का इस्तेमाल टीवी के साथ या उसकी जगह ज्यादा कर रहे हैं।
मोबाइल फोन बन गया सबसे समान रूप से बंटा संपत्ति:
मोबाइल फोन अब सबसे अमीर 20% और सबसे गरीब 40% परिवारों के पास लगभग सभी के पास है। यह भारत में सबसे समान रूप से वितरित टिकाऊ संपत्ति बन गई है। जिन घरों के पास कोई टिकाऊ संपत्ति नहीं थी, उनकी संख्या अब सभी इनकम ग्रुप और इलाकों में केवल 5% या उससे कम रह गई है।
निष्कर्ष:
रिपोर्ट यह स्पष्ट करती है कि भारतीय परिवार अब संपत्ति बढ़ाने वाले खर्चों की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। यह बदलाव न सिर्फ आर्थिक स्थिति में सुधार दिखाता है, बल्कि गरीबी और संपत्ति की कमी को कम करने में भी मददगार साबित हो रहा है।